Hindi Grammer
Ras ke kitne ang hote hain
परिभाषा – “काव्य से जिस आनंद की अनुभूति होती है वही रस है” रस संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य भरतमुनि है। आचार्य भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में रस का सूत्र दिया है।
किसी भी रस में चार भाव (या) अंग होते हैं-
- स्थायी भाव
- विभाव
- अनुभाव
- व्यभिचारी या संचारी भाव
Bhav Vachak Sangya
परिभाषा – जो शब्द किसी व्यक्ति या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध कराते हैं, उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
भाववाचक संज्ञा शब्द पांच प्रकार से बनती हैं
- जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
- सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा
- क्रिया से भाववाचक संज्ञा
- विशेषण से भाववाचक संज्ञा
- अव्यय से भाववाचक संज्ञा
Sawar ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है, उन्हें स्वर कहते हैं। व्यंजनों तथा) वों के उच्चारण में स्वर सहायक होते हैं; स्वरों की संख्या 11 होती है। जैसे- अ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए. ऐ, ओ, औ।
उच्चरण-काल के आधार पर स्वर के तीन भेद के होते है
- हृस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
Karak ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका संबंध सूचित हो, उसे ‘कारक’ कहते है।
कारक के आठ भेद होते हैं।
- कर्ता
- कर्म
- करण
- संप्रदान
- अपादान
- संबंध
- अधिकरण
- संबोधन
vakya ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
वाक्य के दो अंग होते हैं –
- उद्देश्य
- विधेय
Lipi kise kahate hain
परिभाषा – किसी भी भाषा को बोलने और लिखने का ढंग दूसरी भाषा से अलग होता है। प्रत्येक भाषा के लिए विशेष चिहन होते हैं, उन्हें लिपि कहते हैं।
संसार में तीन प्रकार की लिपियाँ है
- चित्रलिपि – चित्रलिपि का प्रयोग चीन, जापान आदि देशों में होता हैं।
- ब्राह्मी लिपि – दक्षिण एशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रयोग की जाती है।
- फोनेशियन लिपि – यह लिपि यूरोप, मध्य एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में प्रयुक्त होती है।
Bhasha kise kahate hain
परिभाषा – हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरे के भावों को समझ सके उसे भाषा कहते है।
भाषा के दो रूप है:
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा (कुछ विद्वान मानते हैं)
Sangya Ke Kitne Bhed Hote Hain
परिभाषा – संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी, स्थान, गुण के नाम का बोध होता हो।
हिंदी व्याकरण में संज्ञा के मुख्यतः पांच भेद हैं।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
Vyakaran ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – जिन नियमा के अन्तर्गत किसी भाषा को शुभ बोलना लिखना एवं ठीक प्रकार से समझना आता है, उन्हें ही व्याकरण कहते है।
व्याकरण के 4 भेद होता हैं
- वर्ण
- शब्द
- पद
- वाक्य
Samas ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए सार्थक शब्द को समास कहते हैं।
समास के 6 भेद होते हैं:
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद समास
- बहुव्रीहि समास
kriya ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – जिस शब्द से किसी कार्य के होने या करने का बोध हो, उसे क्रिया कहते है।
क्रिया के दो भेद हैं :
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
visheshan ke kitne bhed hote hain
परिभाषा – संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
विशेषण दो प्रकार के होते हैं :
- विशेष्य विशेषण
- विधेय विशेषण
Anmol Vachan in Hindi
- खुद का माइनस पॉइंट जान लेना जिंदगी का सबसे बड़ा प्लस्पॉइंट है
- पीठ हमेशा मजबूत रखनी चाहिए क्योंकि शाबाशी और धोखा दोनों पीछे से ही मिलते हैं
- चलने की कोशिश तो करो दिशाएं बहुत हैं रास्तों पे बिखरे काँटों से ना डरो आपके साथ दुआएं बहुत हैं
- जो चाहा वह मिल जाना सफलता है जो मिला है उसको चाहना प्रसन्नता है
- जिंदगी का सबसे खूबसूरत पौधा विश्वास होता है जो जमीन में नहीं दिल में उगता है
- दिल के रिश्ते तो किस्मत से बनते हैं वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है
Paryayvachi Shabd in Hindi
परिभाषा – पर्यावाची यानी किसी शब्द भी का दूसरा नाम होता है जो कि वही अर्थ देता उसे पर्यावाची कहा जाता है।
- वृक्ष – तरु, पादप, पेड़, अगम, विटप, द्रुम।
- कमल – जलज, सरोज, अब्ज, पंकज, तामरस, नलिन, सरसिज, अम्बुज, शतदल।
- ऑग – जातवेद, हुताशन, कृशानु, वैश्वानर, दहन, वायुसखा, पावक, अनल।
- चन्द्रहास- कृपाण, तलवार, असि, करवाल, खड्ग।
- आशय – सारांश, अर्थ, अभिप्राय, तात्पर्य, मतलब।
- फल – परिणाम, नतीजा, अंजाम।
- सुन्दर – चारु, ललित, रम्य, रमणीक, मनोहर, सुहावना, रुचिर।
- शशांक – चाँद, चंद्र, शशि, निशाकर, कलानाथ, सोम, विधु, द्विराज, राकापति, तारकेश्वर।
- मेह – निकेतन, भवन, सदन, आगार, आयतन, आवास, निलय, धाम, गृह।
Hindi Varnamala
वर्गों के समुदाय को ही वर्णमाला कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में 52 वर्ण होते है।
स्वर –
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः
व्यंजन –
क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण त थ द ध न
प फ ब भ म य र ल व
श ष स ह क्ष त्र ज्ञ
Conclusion:
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