Bhav Vachak Sangya – भाव वाचक संज्ञा

Bhav Vachak Sangya: नमस्कार, दोस्तों आपका एक बार फिर से Yourhindi.net में स्वागत है, आज इस लेख में हम मुख्य रूप से भाववाचक संज्ञा की परिभाषा और सभी को उदाहरणों के साथ एक-एक करके समझ गए. चलो शुरू करते हैं।
भाववाचक संज्ञा की परिभाषा
जो शब्द किसी व्यक्ति या पदार्थ की अवस्था, दशा या भाव का बोध कराते हैं, उन शब्दों को भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में: जिन संज्ञा शब्दों से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म, दशा, आदि का बोध हो वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है।
जैसे- बचपन, बुढ़ापा, मोटापा, मिठास, उमंग, चढाई, थकावट, मानवता, चतुराई, जवानी, लम्बाई, मित्रता, मुस्कुराहट, अपनापन, परायापन, भूख, प्यास, चोरी, क्रोध, सुन्दरता आदि
बुढ़ापा- बुढ़ापा जीवन की एक अवस्था है।
मिठास- मिठास मिठाई का गुण है।
क्रोध- क्रोध एक भाव या दशा है।
भाववाचक संज्ञा बनाना
भाववाचक संज्ञा शब्द पांच प्रकार से बनती हैं
- जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
- सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा
- क्रिया से भाववाचक संज्ञा
- विशेषण से भाववाचक संज्ञा
- अव्यय से भाववाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
मनुष्य | मनुष्यता |
मित्र | मित्रता |
प्रभ | प्रभता |
बच्चा | बचपन |
शैतान | शैतानी |
शत्र | शत्रता |
समाज | सामाजिकता |
मूर्ख | मूर्खता |
डाकू | डकैती |
माता | मातृत्व |
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
अपना | अपनापन अपनत्व |
निज | निजत्व, निजता |
पराया | परायापन |
स्व | स्वत्व |
सर्व | सर्वस्व |
निज | निजत्व |
मम | ममता, ममत्व |
अहं | अहंकार |
विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना
अच्छा | अच्छाई |
सुन्दर | सुन्दरता, सौंदर्य |
शीतल | शीतलता |
सफल | सफलता |
कायर | कायरता |
चतुर | चातुर्य, चतुराई |
निर्बल | निर्बलता |
बड़ा | बड़प्पन |
कातर | कातरता |
मधुर | मधुरता, माधुर्य |
छोटा | छुटपन |
भला | भलाई |
तीखा | तीखापन |
मीठा | मिठास |
क्रिया से भाववाचक बनाना
पढ़ना | पढाई |
जोड़ना | जोड़ |
खोजना | खोज |
सीना | सिलाई |
जितना | जीत |
रोना | रुलाई |
लड़ना | लड़ाई |
पढना | पढाई |
चलना | चाल, चलन |
खेलना | खेल |
थकना | थकावट |
लिखना | लेख |
हँसना | हँसी |
दौड़ना | दौड़ |
अव्यय से भाववाचक संज्ञा बनाना
परस्पर | पारस्पर्य |
समीप | सामीप्य |
निकट | नैकट्य |
शाबाश | शाबाशी |
वाहवाह | वाहवाही |
धिक् | धिक्कार |
शीघ्र | शीघ्रता |
दूर | दुरी |
मना | मनाही |
व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
- आज के युग में जयचंदों की कमी नहीं।
- वह हरिश्चंद्र से कम नहीं।
- भारत को सीता-सावित्री का देश कहा जाता है।
- विभीषणों से सावधान रहो।
कुछ व्यक्तियों के जीवन में प्रायः अन्य लोगों के जीवन से भिन्न कोई ऐसी विशेषता, गुण अथवा अवगुण होता है, जिसके कारण उनका नाम उस गण या अवगुण का प्रतिनिधित्व करने लगता है। ऐसी स्थिति में वह नाम व्यक्ति विशेष का नाम होकर भी जातिवाचक शब्द बन जाता है।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
- स्वतंत्रता के बाद पंडित जी ने देश की बागडोर सँभाली।
- महात्मा जी ने अहिंसा का महत्व समझाया।
- नेताजी ने कहा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
- शास्त्री जी को कोई नहीं भुला सकता |
- गोस्वामी जी की रामायण का घर-घर पाठ होता है।
कभी-कभी कुछ जातिवाचक शब्द किसी व्यक्ति विशेष या स्थान-विशेष के अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं, तब वे जाति का बोध न कराकर एक व्यक्ति या स्थान-विशेष का बोध कराते हैं।
भाववाचक संज्ञा शब्दों का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
- हम सभी में बुराइयाँ पाई जाती है।
- दूरियों से अपनापन कम नहीं होता।
- ऊंचाइयों पर चढ़ने के लिए मेहनत करो।
प्रायः भाववाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग एकवचन में ही किया जाता है। किंतु जब भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते तब वे जातिवाचक संज्ञा कहलाते है
[FAQ] भाव वाचक संज्ञा पर पूछे जाने वाले सवाल
भाववाचक संज्ञा शब्द पांच प्रकार से बनती हैं
- जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा
- सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा
- क्रिया से भाववाचक संज्ञा
- विशेषण से भाववाचक संज्ञा
- अव्यय से भाववाचक संज्ञा
जिन संज्ञा शब्दों से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म, दशा, आदि का बोध हो वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है।
जैसे- बचपन, बुढ़ापा, मोटापा, मिठास, उमंग, चढाई, थकावट, मानवता, चतुराई, जवानी, लम्बाई, मित्रता, मुस्कुराहट, अपनापन, परायापन, भूख, प्यास, चोरी, क्रोध, सुन्दरता आदि
उदाहरण:
- बुढ़ापा - बुढ़ापा जीवन की एक अवस्था है।
- मिठास - मिठास मिठाई का गुण है।
- क्रोध - क्रोध एक भाव या दशा है।
निष्कर्ष:
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